कहा जाता हैे कि सत्ता, सता- सता कर मिलती है। इसीलिये जब यह मिलती हेै तो इसे भोगने वाले निरंकु’ा या यूॅ कहें कि, मदान्ध हो जाते है। एसा हमे’ाा ही होता है। बस फर्क इतना हैे कि, सत्ता को भोगने वाले चेहरे बदल जाते हेैं। इसका गरुर इतना अधिक होता हैे कि, जब तक यह रहती है तब तक रास्ते सीधे नजर नहीं आते हैं। इसका एक अवगुण यह भी होता हैे कि, यदि उसके विरुद्ध कोई आवाज उठाने की को’िा’ा करता हैे तो वेा सत्ता विरोधी करार दे दिया जाता हेै ओैर उसे येन केन प्रकारेण ‘‘ निबटाने’’ का खेल खेला जाता हेै। टीम अन्ना और बाबा रामदेव इसके दो प्रमुख उदाहरण है।
विगत दिनों माननीय न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष श्री बंगारु लक्ष्मण को एक स्टिंग आॅपरे’ान ‘‘ आॅपरे’ान वेस्ट एन्ड’’ में रि’वत लिये जाने के कारण सजा सुनाई। यह अलग मुद्धा हैे कि, वो सौदा वास्तविक नहीं था। यह स्टिंग आॅपरे’ान किया था तहलका डाॅट काम नें । यहीं से ‘ाुरु होती है कहानी उसे और उससे संबंधित लोगों को ‘निपटाने’ की ।
दे’ा में अपने तरह का अनूठा स्टिंग आॅपरे’ान था। कई लोगों ने इस सराहा भी। लेकिन जिन्हें इससे तकलीफ होना थी वि’ो”ा रुप से सत्ता पक्ष उसे तो यह नागवार गुजरना ही था, जो गुजरा भी।
सितम्बर 2001 में दक्षिण मुम्बई के एक आली’ाान होटल में वर्”ा 2000 के लिये मीडिया अवार्डस् का आयोजन था। जाहिर था 14 में से 6 अवार्ड तहलका डाॅट काॅम को मिले। एक ओर इन अवार्डस् को लेने में इस वेबसाईट के प्रमुख अंग श्री तरुण तेजपाल व्यस्त थे दूसरी ओर चेन्नई के हवाई अडडे पर एक एसी ‘ार्मनाक घटना घटी जो सत्ता की निम्नतम सोच औेर आचरण को बयाॅ कर गई्र। अपने विरोधी औेर उसके साथ जुडी हर चीज को नेस्तनाबूद करने की प्रवृत्ति ने एक ऐसे दम्पत्ति को सरकारी दमन की फौलादी जकड का सामना करना पडा जिसका इस स्टिंग आॅपरे’ान से कोई लेना देना ही नहीं था। ये दम्पत्ति न तो प्रभावित पक्ष थे औेर नहीं इनसे कोई प्रभावित हुआ। ये न तो राजनेता थे औेर न हीं रक्षा सौदों के दलाल या कोइ्र सैन्य अधिकारी और न हीं वे पत्रकार जिन्होने इस आॅपरे’ान को अंंजाम दिया था। ये थे ‘ोयरों का कारोबार करने वाली भारत की सबसे बडी कम्पनी में से एक फस्र्ट ग्लोबल के मालिक श्री ‘ांकर ‘ार्मा ओैर उनकी पत्नी देबिना मेहरा। चैन्नई हवाई अडडे पर इस दम्पत्ति से एक दु’मन जैेसा व्यवहार किया जा रहा था सारी रात हवाई अडडे पर उनसे पूछताछ की जाती रही औेर उन्हें उनके गन्तव्य की ओर नहीं जाने दिया गया। क्या आप जानते हैे कि, इस दम्पत्ति का अपराध आखिर क्या था? इस दम्पत्ति का जाना अनजाना अपराध यह था कि, उन्होंने उस वेबसाइ्रट में निवे’ा किया था जिसका नाम था‘‘ तहलका डाॅट काॅम’’ सेना में हथियारों की खरीद में धाॅधली का भॅडाफोड करने वाले आपरे’ान वेस्ट एंड की सबसे बडी कीमत इस निर्दो”ा दम्पत्ति को चुकानी पडी। यह कहानी उदारवादी लोकतत्र मेंे सत्ता के निम्नस्तरीय हथकंडों की जानी पहिचानी कहानी थी, जिसमें सरकार के ई’ाारे पर नाचने वाली कठपुतलियाॅ हर कानून और कायदे की सीमाओं से परे जाकर मानवीय अत्याचार से भी परहेज नहीं करती है।
तहलका डाॅट काम आज भी पत्रकारिता के मूल्यों के प्रति समर्पित है। लेकिन इस के साथ हिस्सेदार के रुप में जुडने का खामियाजा ‘ांकर और उसकी पत्नी ने बहुत अधिक भुगता । दे’ा के सबसे प्रतिभा’ााली प्रेाफे’ानल जोडे को जो पीडाये भुगतनी पडी वो बहुत लंबी कहानी है। उनकी जिंदगी को तार तार कर दिया गया। यहाॅ तक कि, वे दोनों भगोडे बन कर रह गये। हता’ाा और निरा’ाा इतनी गहरी हो गइ्र थी कि, वे बाबाओं के यहाॅ जाकर समाधान ढूॅढने लगें। उन्हें यह अहसास कराया गया कि,लोकतंत्र का चोलाओढ सबको न्याया देने की बात करने वाले इस दे’ा का स्वभाव अब भी सामंती है औेर अभी भी औपनिवे’िाक काल में जी रहा हेै। आज कालाधन के विरुद्ध आन्दोलन चलाने वाले बाबा रामदेव को दे’ा के सबसे बडे कर चोर के रुप में निरुपित किया जा रहा है ,टीम अन्ना के सदस्यों को स्टाम्प डयूटी नहीं देने,’ाासकीय धन जमा करने मे ंआनाकानी, हवाईजहाज का कम किराया भ्ुागतान कर लोगों से अधिक किराया वसूल करना आदि आरोप लगा कर सत्ता के विरुद्ध बोलने का उचित सबक सिखाया जा रहा है।
विगत वर्”ोां से ‘ांकर ने तहलका से नाता तोड लिया है उसने कभी भी अपने क”टों को किसी के साथ नहीं बाॅटा। उसके उत्पीडन ने उसे औेर उनके जैसे लोगों को यह अहसास करा दिया हेै कि, सत्ता रुपी प’ाु के पास कोई अन्र्तआत्मा नहीं होती।
Uma Shankar Mehta
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