आज लाला दीनदयाल जी के यहाँ सुबह से ही बहुत चहल पहल थी। हो भी क्यों न, उनकी इकलौती बिटिया को देखने लडके वाले जो आ रहे थे। लालाजी शहर के प्रसिद्ध उद्योगपति थे उनके 5 कारख़ाने थे ओर अधिकांश माल विदेशों में निर्यात होता था।
निर्घारित समय पर लडके वालों की कार जैसे ही लालाजी के बंगले में प्रवेश कर रही थी अचानक एक वृद्धा कार के सामने आई, कार के भीतर झांक कर लडके को जी भर के देखा औेर चली गई।
अंदर जाकर लालाजी औेर उसके परिजनों ने लडके वालो की खूब आवभगत की। विवाह की बात कुछ यू तय हुई कि रोके पर लालाजी एक विदेशी कार , 25 तोला सोना औेर अपनी दो फेक्टरिया देगें। तथा शादी पर ——
शाम को जब लडके वाले जाने लगे तो बंगले की कुछ दूरी पर पुनः वही वृद्धा कार के सामने आ गई उसने अपनी साडी के पल्लू से ग्यारह रुपये निकाले ओर लडके के हाथ पर रखते हुये बोली मैं लालाजी की माँ हूँ तथा इसी शहर के वृद्धाश्रम में रहती हूँ और चली गई।
लडके वाले सोच रहे थे कि, लालाजी अपनी लडकी को तो इतना सब दे रहे है लेकिन संस्कार——?
Uma Shankar Mehta
Latest posts by Uma Shankar Mehta (see all)
- मानवाधिकार एक बार फिर, सलाखों के पीछे - November 14, 2014
- वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली गुरु- विवेकानंद - September 18, 2013
- सूरज नये साल का - September 18, 2013